बेटियाँ देश की शान (काव्य संग्रह)
by वर्जिन साहित्यपीठ
वन्दना
गूंजते ही रहे वीणा के तारों पर,
वन्दना, वन्दना, वन्दना के ये स्वर।
वन्दना के ये स्वर।
दीन को मान दो, मां हमें ज्ञान दो,
शब्दों को प्राण दो, ऐसा वरदान दो,
प्रीत के गीत हों, लेखनी हो निडर।
वन्दना के ये स्वर।
गूंजते ही रहे वीणा के तारों पर,
वन्दना, वन्दना, वन्दना के ये स्वर।
वन्दना के ये स्वर।
वन्दना
गूंजते ही रहे वीणा के तारों पर,
वन्दना, वन्दना, वन्दना के ये स्वर।
वन्दना के ये स्वर।
द