From imside. 1. अपने गाँव जाने के लिए अधीर हो उठा। मैंने मामा जी से कहा कि मुझे आज ही बस में बिठा दो। तब मामा जी कहने लगे कि कल चले जाना। मुझे अच्छा नहीं लगा, मुझे हर पल बैचेन कर रहा था, अपने गाँव को देखने की तीव्र इच्छा मन में जाग गई थी, मेरा गाँव कैसा हो गया होगा, वहाँ के लोग कैसे रह रहे होंगे, मेरे पुराने सहपाठी कैसे होंगे? ऐसे प्रश्न मेरे मन में उठ रहे थे। मैं हर पल गाँव के बारे में सोच रहा...
मैंने उससे मना कर दिया। वह रुक गया, तो लड़की का तुरंत फोन आ गया। पहले वह उठा नहीं रहा था, पर फिर उठा लिया। फिर उसने स्पीकर खोल दिया, क्योंकि लड़की घर वालों से छिपकर बहुत धीमी आवाज में बात कर रही थी। लड़की गुस्से में थी। "तुमने बात क्यों नहीं की?" वह भड़की। "यार काम बहुत था समय ही नहीं मिला।" भाई ने कहा। "इतना भी टाइम नहीं मिला कि मेरे मेसेज का रिप्लाय कर सको?" "कैसे करता दिन भर घर पर ही था," वह...
"गाँव की गलियों से उठती एक अनसुनी सिसकी, 'दादी चिरोंजी और डोंगरिया वाला भूत' आपको उस अदृश्य दुनिया की सैर कराती है, जहाँ रहस्य और रोमांच का घना अंधेरा है। इस कहानी में छिपा है वह साहस जो अदृश्य को दृश्य बना देता है, और वह आस्था जो असंभव को संभव कर दिखाती है। दादी चिरोंजी बाई की अदम्य जिजीविषा और डोंगरिया वाले भूत की अजीबोगरीब हरकतें, इस कहानी को एक अविस्मरणीय अनुभव बनाती हैं। यह कहानी न केवल...